जौनपुर। AI इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या कांड को लेकर पूरे दिन माहौल गर्म रहा। मीडिया आरोपी परिवार का पक्ष लेने के लिए मीडियाकर्मी पहुंचे तो आरोपी ने पत्रकारों के ऊपर ही भड़क उठे। दोपहर बाद इस मामले के चौथे आरोपी महिला के बड़े पिता सुशील सिंघानिया ने पहली बार मीडिया से बात करते हुए आपने आपको निर्दोष बताया साथ ही उन्होंने कहा कि ना मैं ना ही मेरे परिवार का कोई सदस्य घटना स्थल पर मौजूद नही था। पिछले तीन वर्षों से कोर्ट में मुकदमा चल रहा है अतुल सुभाष ने जो भी मरने से पूर्व में जो वीडियो वायरल किया है उसके सारे आरोपो का जवाब शीघ्र ही मेरी भतीजी यानी अतुल की पत्नी निकिता मीडिया के सामने देगी।
अतुल के इस आत्मघाती कदम के बाद जौनपुर पुलिस ने सुरक्षा कारणों से आरोपी परिवार के घर के बाहर कड़ी निगरानी रखनी शुरू कर दी है। पुलिस के इस कदम ने इलाके में हलचल मचा दी है। अतुल सुभाष के अधिवक्ता दिनेश मिश्रा ने बताया कि अतुल और उसकी पत्नी निकिता के बीच का विवाद दीवानी न्यायालय में चल रहा था। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अतुल को 40,000 रुपये प्रति माह अपने बेटे के भरण-पोषण के लिए देने का आदेश दिया था, जबकि निकिता को खुद एक कंपनी में नौकरी मिल रही थी, जिसके कारण उसे गुजारा भत्ता नहीं दिया गया था। दिनेश मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट की ओर से कोई गलती नहीं की गई और आत्महत्या के पीछे कोर्ट का कोई हाथ नहीं है।

24 पन्नों के सुसाइड नोट में कौन सा सच?
इस मामले में बड़ा मोड़ तब आया जब अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट और एक घंटा लंबा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया। वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए, साथ ही जौनपुर के एक न्यायिक अधिकारी को भी निशाने पर लिया। रिपोर्टों के अनुसार, बेंगलुरु पुलिस का कहना है कि अतुल डिप्रेशन का शिकार था और आत्महत्या करने के दौरान उसके शरीर पर "जस्टिस इज ड्यू" (न्याय का हक है) लिखा हुआ एक पन्ना चिपका हुआ था।
पत्नी ने लगाया था दहेज़ प्रताड़ना का आरोप
अतुल के निधन से पहले उसकी पत्नी निकिता और उनके नाबालिग बेटे व्योम ने दीवानी न्यायालय में भरण पोषण के लिए मुकदमा दायर किया था। इस मामले में निकिता ने आरोप लगाया था कि उसके ससुराल वाले 10 लाख रुपये दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करते थे, जिससे दुखी होकर उसके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद निकिता को बेंगलुरु ले जाने की कोशिश की गई, लेकिन वहां भी उसे लगातार प्रताड़ित किया गया। निकिता ने यह भी आरोप लगाया था कि 2020 में उसके बेटे व्योम के जन्म के बाद भी अतुल की प्रताड़ना जारी रही, और अंत में 2021 में उसे मारपीट के बाद घर से निकाल दिया गया। तब से वह अपने बेटे के साथ मायके में रह रही थी।
घरेलू हिंसा के मुकदमे की चल रही थी सुनवाई
न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही थी और कोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को अतुल को आदेश दिया था कि वह अपने बेटे को 40,000 रुपये प्रति माह भरण पोषण अदा करे। हालांकि, निकिता के भरण पोषण का प्रार्थना पत्र कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, दहेज उत्पीड़न के मामले में भी अतुल ने जमानत ली थी और घरेलू हिंसा के मुकदमे की भी सुनवाई चल रही थी।

अतुल ने बोला था – मेरे कमाए पैसे से दुश्मन हो रहे ताकतवर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आत्महत्या से पहले अतुल ने अपने वीडियो में कहा था, "जो पैसे मैं कमाता हूं, वे मेरे दुश्मनों को और ताकतवर बना रहे हैं। वही पैसे मुझे खत्म करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। मेरे द्वारा चुकाए गए करों से यह न्यायालय और पुलिस मुझे और मेरे परिवार को परेशान करेंगे।" उन्होंने अपनी मौत के बाद अपनी पत्नी और उसके परिवार को शव के पास जाने से रोकने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि जब तक उनके उत्पीड़न करने वालों को सजा नहीं मिलती, तब तक उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि अगर उत्पीड़न करने वालों को दोषी नहीं ठहराया जाता, तो उनकी अस्थियों को अदालत के नाले में फेंक दिया जाए।
इस घटनाक्रम के बाद, जौनपुर में पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई है। निकिता के परिजनों ने इस मामले में वकील के माध्यम से अपनी सफाई पेश करने का निर्णय लिया है। इस बीच, जौनपुर पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने न केवल जौनपुर बल्कि पूरे देश में एक बार फिर से घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।