भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही व्यापार वार्ताएं अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, भारत जोर दे रहा है कि टैरिफ दरें 20 प्रतिशत से कम रखी जाएं। दरअसल, एशियाई देशों पर अमेरिका ने 15 से 20 प्रतिशत के बीच टैरिफ लगाया है, और भारत चाहता है कि वह प्रतिस्पर्धा में कमजोर न पड़े। इसी वजह से नई व्यवस्था में भारत ने 20% से कम सीमा तय करने पर बल दिया है।

इस बातचीत का एक अहम पहलू रूसी तेल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क को हटाने की मांग भी है। भारत लगातार यह तर्क दे रहा है कि ऊर्जा सुरक्षा और लागत नियंत्रण के लिए इस शुल्क में ढील मिलना जरूरी है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति पर वैश्विक स्तर पर अपनाए जा रहे "दोहरे मानकों" की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध और गाजा संकट ने सप्लाई चेन को प्रभावित किया है, जिससे लागत बढ़ी और गरीब तथा मध्यम आय वाले देशों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि शांति और विकास एक-दूसरे से जुड़े हैं, लेकिन विकास को रोककर स्थायी शांति की उम्मीद नहीं की जा सकती। न्यूयॉर्क में जयशंकर की अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात हुई। बातचीत के बाद रुबियो ने कहा कि भारत उनके लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और व्यापार वार्ता को लेकर वह सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं। वहीं, अगले ही दिन उन्होंने इशारा किया कि ट्रंप प्रशासन भारत पर रूसी तेल को लेकर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क को वापस लेने पर विचार कर सकता है।

भारत और अमेरिका के बीच हुई इस उच्च-स्तरीय बातचीत में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर भी शामिल रहे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पुष्टि की कि चर्चा में व्यापार के साथ ऊर्जा सुरक्षा और निवेश जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है।
यह संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के बीच यह समझौता जल्द ही आधिकारिक रूप से अंतिम रूप ले सकता है, जो न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा देगा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।