गाजीपुर। जिले में आय प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी और आंगनबाड़ी नियुक्ति में फर्जीवाड़े को लेकर प्रशासन सख्त हो गया है। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए जिले के अलग-अलग तहसीलों से जुड़े सात लेखपालों को निलंबित कर दिया है। वहीं जखनियां तहसील में संविदा पर तैनात पांच कंप्यूटर ऑपरेटरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश भी दिया गया है।

डीएम ने तहसील सदर, जमानिया, जखनियां और सैदपुर से एक-एक लेखपाल जबकि कासिमाबाद से तीन लेखपालों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इन पर प्रमाण पत्र निर्माण में अनियमितताओं और नियमों की अनदेखी के आरोप हैं।
इसके साथ ही जखनियां तहसील में संविदा पर कार्यरत पांच कंप्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिस पर जिलाधिकारी ने इनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।
जांच में सामने आए तथ्यों को गंभीर मानते हुए डीएम ने पांच तहसीलों – सदर, जमानिया, जखनियां, सैदपुर और कासिमाबाद – के तहसीलदारों से इस प्रकरण में स्पष्टीकरण भी मांगा है। उन्हें स्पष्ट करना होगा कि उनके अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा की गई अनियमितताओं की निगरानी क्यों नहीं की गई।

इस कार्रवाई की जद में सीडीओ कार्यालय भी आया है। मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य के स्टेनो राधेश्याम यादव का स्थानांतरण जमानिया तहसील में कर दिया गया है। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि राधेश्याम यादव की पुत्री पूजा यादव की नियुक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद पर मनिहारी ब्लॉक के चौखड़ी गांव में कर दी गई, जिसके लिए आय प्रमाण पत्र में भारी गड़बड़ी की गई थी।
आंगनबाड़ी भर्ती के दौरान जिले में अब तक 14 ऐसे संदिग्ध प्रमाण पत्र पकड़े जा चुके हैं, जिनमें सत्यापन में अनियमितताएं मिली हैं। इस मामले में संबंधित सभी नियुक्तियों को होल्ड कर दिया गया है और गहन जांच जारी है।

डीएम आर्यका अखौरी ने स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार या लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी की जा रही है और दोषियों पर कार्रवाई का सिलसिला जारी रहेगा।
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