पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र अब देश के 244 संवेदनशील क्षेत्रों में युद्धकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह व्यापक अभ्यास बुधवार, 7 मई को देश के 25 राज्यों में किया जाएगा, जिसे गृह मंत्रालय की विशेष निगरानी में अंजाम दिया जा रहा है।
इन इलाकों को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ की श्रेणी में रखा गया है। ये सामान्य प्रशासनिक जिलों से भिन्न हैं और विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा, सामरिक प्रतिष्ठानों और नागरिक जीवन पर संभावित खतरे को देखते हुए चिह्नित किए गए हैं। इन क्षेत्रों को गृह मंत्रालय ने तीन संवेदनशीलता श्रेणियों—कैटेगरी 1, 2 और 3 में बांटा है।

कैटेगरी 1: सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र
देशभर में 13 जिले ऐसे हैं जिन्हें कैटेगरी-1 में रखा गया है, यानी ये अत्यधिक संवेदनशील माने गए हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर जिला इस श्रेणी में शामिल है क्योंकि वहां नरौरा परमाणु संयंत्र स्थित है। ऐसे क्षेत्रों में युद्ध जैसी आपात स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित निकालने, चिकित्सा सहायता देने और संचार व्यवस्था बनाए रखने जैसे पहलुओं पर विशेष जोर दिया जाएगा।
कैटेगरी 2 और 3 में बाकी जिले
कैटेगरी-2 में 201 जिले शामिल हैं जो मध्यम संवेदनशीलता वाले हैं, जबकि 45 जिले कम जोखिम वाले माने गए हैं और इन्हें कैटेगरी-3 में रखा गया है। इन सभी क्षेत्रों में अभ्यास के दौरान संभावित हमलों या आपातकालीन हालात में आम नागरिकों की प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास की रणनीति को परखा जाएगा।

259 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स की सूची तैयार
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 259 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को चिह्नित किया है। इनमें से कई इलाके पारंपरिक जिलों के भीतर स्थित हैं, जबकि कुछ विशिष्ट इलाकों जैसे एयरबेस या सामरिक ठिकानों को भी स्वतंत्र रूप से सिविल डिफेंस क्षेत्र माना गया है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के बक्शी का तालाब (लखनऊ) और सरवासा (सहारनपुर) जैसे स्थान शामिल हैं, जहां वायुसेना के ठिकाने मौजूद हैं।
दिल्ली में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
मंगलवार को नई दिल्ली स्थित गृह मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और सिविल डिफेंस प्रमुखों ने भाग लिया। बैठक में मॉक ड्रिल की रणनीति, संसाधनों की उपलब्धता और नागरिक भागीदारी को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।

नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश जारी
गृह मंत्रालय के अनुसार, मॉक ड्रिल के दौरान नागरिकों को कई अहम दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें अपने घरों में प्राथमिक चिकित्सा किट, पर्याप्त राशन, टॉर्च, मोमबत्तियां और कैश रखने के निर्देश दिए जाएंगे। यह सुझाव इसलिए दिया गया है क्योंकि आपदा की स्थिति में डिजिटल भुगतान और मोबाइल संचार असफल हो सकते हैं।
अहम होगा यह मॉक ड्रिल
यह मॉक ड्रिल न केवल युद्ध जैसे हालात में नागरिकों और प्रशासन की तत्परता की परीक्षा लेगी, बल्कि देश के भीतर सुरक्षा नेटवर्क की मजबूती और जनता में जागरूकता बढ़ाने का कार्य भी करेगी। इस अभ्यास को वर्तमान सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर जब सीमापार आतंकवाद और रणनीतिक ठिकानों पर खतरे की आशंका बनी हुई है।