नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक भ्रम फैलाया जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति यूपीआई (UPI) के माध्यम से ₹2,000 से अधिक का लेन-देन करता है, तो उस पर जीएसटी (GST) वसूला जाएगा। यह दावा देखते ही देखते वायरल हो गया और लोगों में भ्रम और चिंता का माहौल बन गया।
दरअसल, देश में करोड़ों लोग रोजाना यूपीआई का इस्तेमाल भुगतान के लिए करते हैं। ऐसे में जब यह अफवाह फैली कि दो हजार रुपये से ज्यादा की यूपीआई ट्रांजैक्शन पर टैक्स लगेगा, तो डिजिटल भुगतान करने वाले आम नागरिकों के बीच बेचैनी साफ देखी गई।
सरकार ने किया साफ: नहीं लगेगा कोई टैक्स
इन वायरल दावों के बीच वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को एक स्पष्ट और आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें इन सभी बातों को पूरी तरह निराधार और भ्रामक बताया गया है। मंत्रालय ने कहा है, "यूपीआई के जरिए ₹2,000 या उससे अधिक की राशि भेजने पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।"
सरकार ने इस तरह की सभी खबरों को अफवाह करार देते हुए लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचनाओं पर विश्वास न करें। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई सेवाएं फिलहाल पूरी तरह निःशुल्क और टैक्स-मुक्त हैं।
जीएसटी: क्या है इसकी असलियत?
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) एक परोक्ष कर प्रणाली (Indirect Tax System) है, जिसे भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 से लागू किया था। इसके अंतर्गत पहले के विभिन्न टैक्स जैसे वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स आदि को मिलाकर एक 統एकीकृत टैक्स सिस्टम बनाया गया था। इसका मकसद पूरे देश में एक समान टैक्स व्यवस्था लागू करना और व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाना था।
'वन नेशन, वन टैक्स' की अवधारणा के साथ लागू हुए जीएसटी ने न सिर्फ टैक्स प्रणाली को पारदर्शी बनाया बल्कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को भी बढ़ावा दिया।