वाराणसी। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को सिगरा क्षेत्र में बने श्री काशी नट्टुकोट्टई नगर सत्रम प्रबंधन सोसाइटी के भव्य नए सत्रम भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में दक्षिण भारत के नागरथार समुदाय के सैकड़ों श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक भी मौजूद रहे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को जीवंत किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रिश्ता है, जो समय के साथ और भी मजबूत होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वाराणसी केवल उत्तर भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र है, जहाँ आने वाला हर व्यक्ति स्वयं को परम चेतना से जुड़ा हुआ महसूस करता है।

राधाकृष्णन ने काशी की अपनी पूर्व यात्राओं को याद करते हुए कहा कि पिछले 25 वर्षों में उन्होंने शहर में उल्लेखनीय बदलाव देखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व ने काशी को न केवल एक भव्य धार्मिक नगरी बनाया है, बल्कि इसे एक सशक्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी पुनर्स्थापित किया है।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान एक व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में गंगा स्नान करने के बाद उन्होंने जीवनभर शाकाहारी रहने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा, “काशी ने मेरी आत्मा को छुआ है, यहाँ की पवित्रता हर व्यक्ति को जीवन में परिवर्तन का अवसर देती है।”
राधाकृष्णन ने नागरथार समुदाय के समाजसेवी योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह समुदाय जहाँ भी जाता है, वहाँ तमिल संस्कृति और परंपरा का प्रचार-प्रसार करता है। उन्होंने 60 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस 10 मंजिला सत्रम को “आस्था, सेवा और एकता का प्रतीक” बताया।

सत्रम भवन में कुल 140 कमरे बनाए गए हैं, जहाँ आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होगी। यह पूरी तरह से नागरथार समाज के दान से निर्मित किया गया है। भवन के निर्माण के दौरान कई चुनौतियाँ आईं, विशेषकर ज़मीन से संबंधित विवाद, जिसे राज्य सरकार के प्रयासों से हल किया गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि “यह सत्रम इस बात का प्रतीक है कि अंततः धर्म और सच्चाई की ही जीत होती है।”

कार्यक्रम में राधाकृष्णन ने देवी अन्नपूर्णी अम्मन की मूर्ति को पुनः काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किए जाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2021 में कनाडा से वापस लाई गई यह मूर्ति भारत की सांस्कृतिक अस्मिता का गौरवशाली उदाहरण है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नागरथार समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि “काशी और तमिलनाडु का संबंध केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मीय है। यह सत्रम उस एकता की भावना को साकार करता है, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री मोदी ने ‘काशी-तमिल संगमम्’ के दौरान की थी।”

नया सत्रम भवन वाराणसी में सोसाइटी का दूसरा प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य न केवल दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं को आवासीय सुविधा देना है, बल्कि युवा पीढ़ी को काशी से जोड़कर भारत की सांस्कृतिक एकता को और सशक्त करना भी है। यह भवन काशी और तमिलनाडु के बीच 1863 में शुरू हुए तीर्थ संबंध की परंपरा का आधुनिक विस्तार है, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को नई ऊर्जा देता है।
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