जुलाई में बदलेगा बीजेपी का नेतृत्व, राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर मंथन तेज, इन 8 नामों पर चर्चा तेज

https://admin.thefrontfaceindia.in/uploads/1676118040_bjp-leadership-change-july-national-president-discussion-intensifies.jpg

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन 21 जुलाई से पहले कर लिया जाएगा, यानी संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले भाजपा को नया नेतृत्व मिल सकता है। जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है और वह वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं, साथ ही केंद्रीय मंत्री भी हैं। ऐसे में पार्टी अब स्थायी नेतृत्व की ओर कदम बढ़ा रही है।


प्रदेशों में भी होगा बड़ा फेरबदल


सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले लगभग 10 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। इन नियुक्तियों की प्रक्रिया 21 जून तक पूरी होने की संभावना है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन की औपचारिक प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। भाजपा यह बदलाव बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हर हाल में करना चाहती है, जिससे संगठनात्मक असमंजस की स्थिति न रहे और चुनावी रणनीतियों को मजबूती मिले।

 


राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में कई दमदार चेहरे


भाजपा के शीर्ष पद के लिए आठ नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं, जिनमें संगठन से लेकर सरकार और क्षेत्रीय संतुलन तक को ध्यान में रखा जा रहा है। इन दावेदारों में महिला और पुरुष दोनों वर्गों से अनुभवी नेता शामिल हैं:


1. शिवराज सिंह चौहान


पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सबसे अनुभवी और लोकप्रिय चेहरों में से एक हैं। वे चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और छह बार लोकसभा सदस्य चुने गए। ‘लाडली बहना योजना’ जैसे कार्यक्रमों ने उन्हें गरीबों और महिलाओं के बीच बड़ी लोकप्रियता दिलाई। वे आरएसएस से लंबे समय से जुड़े रहे हैं और संगठन में अच्छी साख रखते हैं।


2. सुनील बंसल


भाजपा के रणनीतिकारों में शुमार सुनील बंसल को संगठन में गहरी पकड़ के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में संगठनात्मक सफलता के पीछे उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्हें आरएसएस और पार्टी के बीच सेतु माना जाता है।


3. धर्मेन्द्र प्रधान


ओडिशा से आने वाले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को संगठन और सरकार दोनों में संतुलन बनाने वाला चेहरा माना जाता है। वे लंबे समय से नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। ओबीसी समुदाय से होने के चलते सामाजिक समीकरण में भी संतुलन ला सकते हैं।


4. रघुवर दास


झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास संगठन और सरकार दोनों में मजबूत पकड़ रखते हैं। उन्होंने राज्य में पांच साल का स्थिर शासन दिया, जिससे भाजपा को नई पहचान मिली। वे ओबीसी समुदाय से आते हैं और पूर्वोत्तर व झारखंड में संगठन को विस्तार देने में सक्षम माने जाते हैं।

 


5. स्मृति ईरानी


भाजपा की फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पार्टी का सशक्त महिला चेहरा हैं। वे हिंदी भाषी राज्यों के साथ दक्षिण भारत में भी पार्टी का चेहरा बन सकती हैं। संगठन और सरकार में उनका अनुभव पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।


6. वानति श्रीनिवासन


भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वानति श्रीनिवासन दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु में पार्टी को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभा चुकी हैं। 1993 से भाजपा से जुड़ीं वानति ने कोयंबटूर में कमल हासन को हराकर सुर्खियां बटोरी थीं। संघ से गहरे पारिवारिक संबंध हैं।


7. तमिलिसाई सौंदर्यराजन


पूर्व राज्यपाल और भाजपा की वरिष्ठ नेता तमिलिसाई तमिलनाडु में पार्टी की पहचान मजबूत करने वाली नेताओं में से हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी मानी जाती हैं। राज्य स्तर पर संगठन चलाने का अनुभव उन्हें मजबूती देता है।


8. डी. पुरंदेश्वरी


आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी पूर्व प्रधानमंत्री एन.टी. रामाराव की बेटी हैं और पहले कांग्रेस में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं। बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और वर्तमान में आंध्र में पार्टी को खड़ा करने की चुनौती संभाल रही हैं। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से आंध्र और तेलंगाना में भाजपा को जनाधार बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें

Latest News