IPS Mohit Agrawal: वाराणसी के पुलिस कमिश्नर पद पर तेज तर्रार पुलिस अधिकारी आईपीएस मोहित अग्रवाल संभाल नियुक्त हैं। मोहित अग्रवाल 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और यूपी के तेज तर्रार अधिकारियों में से एक माने जाते हैं। वह यूपी एटीएस लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे।
आईपीएस मोहित अग्रवाल (IPS Mohit Agrawal) ने यूपी के कई शहरों में पोस्टिंग के दौरान कई बार पुलिस के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। जहां से पुलिस ने हार मानी, वहां से इन्होंने सोचना आरम्भ किया और जीत हासिल की।
आईपीएस मोहित अग्रवाल मूल रूप से यूपी के बरेली के रहने वाले हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। इसके साथ ही वह यूपी के ताज तर्रार निडर आईपीएस अधिकारियों में से एक माने जाते हैं। कानपुर में बतौर आईजी उन्होंने काफी लंबा समय लगभग सवा 2 साल बिताया है। उनकी तैनाती जुलाई 2019 में हुई थी।
जब पुलिस घिरी तब बने संकटमोचक
कहा जाता है कि कानपुर के प्रशासनिक इतिहास में आईपीएस मोहित अग्रवाल का काल लंबे समय तक याद किया जाएगा। उनके ही कार्यकाल में बिकरू कांड जैसी घटना हुई, तो फर्रुखाबाद में दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था। कहना गलत नहीं होगा कि जब भी पुलिस संकट में घिरी, तो उन्होंने खुद संकटमोचक बनकर मोर्चा संभाला और जीत हासिल की।
बिकरू कांड के बाद हुए अभियुक्तों के साथ पुलिस की मुठभेड़ में बतौर आईजी वह खुद शामिल रहे और दो बदमाशों को ढेर किया। उन्हीं की निगरानी में कुख्यात विकास दुबे का किलानुमा घर भी पुलिस ने ढहा दिया था। पूरे प्रकरण में पुलिस पर जब-जब सवाल उठे तब आईजी ने ही आकर बचाव किया।
जबकि उस अपहरणकर्ता की पत्नी को गांव वालों ने पीट-पीट कर मार डाला था। उसे अपहरणकर्ता की बेटी की मोहित अग्रवाल अब तक देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने उसका नाम गौरी रखा है और कहा है कि उसे एक बड़ा आईपीएस अफसर बनाएंगे।
IPS Mohit Agrawal ने सपा MLC का ढहाया साम्राज्य
आईपीएस मोहित अग्रवाल ने अपराधी और माफिया के खिलाफ भी अभियान चलाया। औरैया में सपा के पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक के आपराधिक साम्राज्य को उन्होंने जड़ से उखाड़ फेंका और अब तक अपराधियों व माफिया की करोड़ों की संपत्ति जब्त कराई।