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काशी में जलती चिताओं की राख से खेली गई मसाने की होली, नागा साधुओं ने किया शिव तांडव, 20 देशों से पहुंचे पर्यटक, विदेशी बोले – पहले कभी नहीं देखा ऐसा

वाराणसी। काशी के हरिश्चंद्र घाट पर सोमवार को अनोखा नजर देखने को मिला। जहां एक ओर चिताओं से धुआं उठ रहा था, वहीं दूसरी ओर लोग चिता की भस्म से होली खेल रहे थे। हरिश्चंद्र घाट पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी, जहां नागा साधु, तांत्रिक और अघोरी साधु चिता की राख को उत्सव का हिस्सा बना रहे थे।

 


कुछ लोग मुंह में जिंदा सांप दबाए, गले में नरमुंडों की माला पहने और हाथों में आग के गोले लिए शिव तांडव कर रहे थे, तो कुछ लोग पूरी तरह राख से नहाए हुए नजर आए। घाट पर इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी।

 


विदेशी भी हुए आयोजन में शामिल


इस बार की मसान होली में अमेरिका, रूस, फ्रांस समेत 20 देशों से लगभग 5 लाख पर्यटक पहुंचे। विदेशी पर्यटकों ने भी चिता भस्म को माथे पर लगाकर इस अनोखे पर्व का आनंद लिया। एक विदेशी युवक ने कहा, "यह अविश्वसनीय है! मैंने पहले कभी ऐसा त्योहार नहीं देखा।"

 


शोभायात्रा निकाल कर साधुओं ने किया शिव तांडव


मसान की होली की शुरुआत सुबह कीनाराम आश्रम से भव्य शोभायात्रा के साथ हुई। घोड़े और रथों पर सवार संत, नागा संन्यासी और तांत्रिक हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। रास्ते में जगह-जगह कलाकारों ने शिव तांडव नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे माहौल और भी दिव्य हो गया।

 


गाना "खेले मसाने में होरी..." की धुन पर पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने जमकर डांस किया। हालांकि इस बार कमेटी ने महिलाओं को चिता भस्म की होली में शामिल होने की अनुमति नहीं दी।


अद्भुत नजारे हुए कैमरे में कैद


शिव के रूप में कलाकारों ने अबीर-गुलाल उड़ाया और चिता भस्म की होली खेली। नरमुंडों की माला पहनकर तांडव करते साधु-संतों ने माहौल को रहस्यमयी बना दिया। मां काली का रूप धारण किए कलाकारों ने उग्र नृत्य किया, जिसे देखकर श्रद्धालु रोमांचित हो उठे।

 


एक अनोखा संगम: मृत्यु और उत्सव का मेल


मसान होली में मृत्यु और जीवन का अद्भुत संगम देखने को मिला। आमतौर पर लोग चिता की राख से दूर भागते हैं, लेकिन इस दिन सभी एक चुटकी चिता भस्म के लिए बेसब्र नजर आए। यह नजारा दुनियाभर में काशी की अनूठी परंपराओं और अध्यात्मिक रहस्यों को दर्शाता है।

 

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