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नहीं रहे राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

नई दिल्ली। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों और भक्तों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है।

 


राम मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका


कामेश्वर चौपाल का जन्म बिहार में हुआ था और वे राम मंदिर आंदोलन में एक ऐतिहासिक भूमिका निभा चुके थे। 1989 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर की पहली ईंट रखने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ था। वे दलित समुदाय से आने वाले एक प्रतिष्ठित नेता थे और हमेशा सामाजिक उत्थान के लिए सक्रिय रहे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामेश्वर चौपाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:


"भाजपा के वरिष्ठ नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे एक अनन्य रामभक्त थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया। दलित पृष्ठभूमि से आने वाले कामेश्वर जी समाज के वंचित समुदायों के कल्याण के कार्यों के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति!"

 

 


बिहार की राजनीति में भी कमाया नाम


कामेश्वर चौपाल सिर्फ राम मंदिर आंदोलन तक सीमित नहीं रहे बल्कि समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए भी कार्यरत रहे। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख दलित नेताओं में शामिल रहे और बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार भी बने। उनका जीवन सामाजिक समर्पण और हिंदू धर्म के प्रति निष्ठा का प्रतीक रहा।

 


राम भक्तों के लिए अपूरणीय क्षति


कामेश्वर चौपाल का निधन उन सभी के लिए एक बड़ी क्षति है, जो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साक्षी रहे हैं। उनके योगदान को हमेशा सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाएगा।

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