लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने महिला सशक्तिकरण और मिशन शक्ति अभियान को ध्यान में रखते हुए निर्देश दिया है कि अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर, इन योजनाओं के तहत दिए जाने वाले मकान केवल महिला मुखिया के नाम स्वीकृत किए जाएं। इसके अलावा, यदि किसी पुरुष मुखिया के नाम पर आवास स्वीकृत होता है, तो उसमें महिला मुखिया का नाम जोड़ना अनिवार्य होगा।
डिप्टी सीएम मौर्य ने स्पष्ट किया कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के भीतर स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजनाओं के तहत दिए जाने वाले घरों के बाहर सहजन का पेड़ लगाने और सोलर लाइट जैसी सुविधाओं की व्यवस्था के लिए भी योजना बनाई जाए। उन्होंने लाभार्थियों के सर्वे का कार्य 31 मार्च तक पूरा करने का आदेश दिया है।
गांवों में नियमित ग्राम चौपाल का आयोजन
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने और जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार अब हर शुक्रवार को ग्राम चौपालों का आयोजन करेगी। डिप्टी सीएम ने प्रत्येक विकासखंड की दो ग्राम पंचायतों में नियमित रूप से ग्राम चौपाल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि सरकार अब खुद गांव और गरीबों के पास जाकर उनकी समस्याओं का समाधान कर रही है, जिससे लोगों को इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
ग्राम्य विकास विभाग के आयुक्त जीएस प्रियदर्शी के अनुसार, पिछले एक वर्ष में राज्यभर में 1,24,000 से अधिक चौपालों का आयोजन किया गया है, जिनमें करीब 4,67,000 से अधिक शिकायतों और मामलों का समाधान किया गया।
महिलाओं के नाम पर अधिक आवास स्वीकृत
ग्राम्य विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 40.14% मकान महिला मुखिया के नाम पर स्वीकृत किए गए हैं, जबकि 51.74% मकान पति-पत्नी के संयुक्त नाम से दिए गए हैं। यानी कुल मिलाकर 91.87% मकान ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं को स्वामित्व मिला है। इसी तरह, मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 29.25% मकान महिला मुखिया के नाम पर और 37.78% मकान पति-पत्नी के संयुक्त नाम से स्वीकृत किए गए हैं, जिससे कुल मिलाकर 67.03% मकानों पर महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित हुई है।